Intro
ना कोई और सहारा चाहिए सावन आते ही झारखंड की फिज़ा में बोल बम की गूंज सुनाई देती है। जंगलों पहाड़ियों और नदियों से होकर गुजरते कांवड़ियों की टोली जब बोल उठती है – बोल बम! तो लगता है खुद शिव शंकर भी उनके साथ चल पड़े हैं। यही श्रद्धा यही विश्वास और यही समर्पण है झारखंड की पहचान।
Table of Contents
धरती हरियाली ओढ़े अम्बर भी मुस्काया है सावन का महीना आया भोले का बुलावा आया है। झारखंड के जंगल-जंगल गूंजा है ये प्यारा है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
2 नेतरहाट की घाटियाँ देवघर की वो राहना कोई और सहारा चाहिए ना कोई और सहारा चाहिए हरियाली में भीगता मन कांवरियों की चाह। गिरती बूँदों में झरनों-सा शिव नाम हमारा है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
- 3 छोटा नागपुर की माटी करती है वंदन शिव के डमरू की धुन में झूमे हर जन-जन। भक्ति में लहराता झारखंड पूरा अब नारा है ना कोई और सहारा चाहिए – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
- 4 पाँव में छाले हैं फिर भी रुके नहीं हैं ना कोई और सहारा चाहिए भक्त भक्ति वो शक्ति है जिससे जुड़ा है हर एक व्यक्त। शिव के लिए अर्पण जीवन यही तो सहारा है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
- 5 भोर की पहली किरण से आरती की लौ तक कांवड़िया बन निकला जीवन भोले की खोज तक। हर दर्द हर पीड़ा में सिर्फ वही प्यारा है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
- 6 देवघर की नगरी जब बोल बम से गूंजे लगता है धरती भी शिव के चरणों में सूजे।ना कोई और सहारा चाहिए झारखंड का दिल भी अब शिवमय सारा है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
- 7 घाट-घाट से निकले हैं भक्त झारखंड की माटी में गूंजा मंत्र। सांवली सुबह ताजी हवा कांवड़ ले निकली है आस्था। हर पग में शिव का नाम बसा हर सांस में गूंजता बम बम का नारा। ना धन चाहिए ना कोई सहारा बस एक नाम – भोलेनाथ हमारा।
8 सिर पर कलश हाथ में त्रिशूल शिव का सुमिरन मन में फूल। लाल गमछा माथे पर भस्म हर कदम पर गूंजता है धर्म। नेतरहाट की वादियों में और झरनों की छांव में कांवड़िए बढ़ते हैं आगे भोले की भक्ति की धुन में।
9 रांची की गलियों से देवघर की राह कांवड़िए झूमते हैं जैसे हो कोई चाह। बोल बम! की गर्जना से धरती तक थरथराती है। बाबा बैद्यनाथ की नगरी हर साल ये जुलूस सजे झारखंड का हर बेटा-बेटी भक्ति की मस्ती में भीगे।
हर वर्ष जब सावन आता है भक्तों का कारवां उमड़ पड़ता है। और एक स्वर फिर से गूंजता है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra लाल वस्त्र हाथ में झंडी माथे पर भस्म गूंजे बम-बम ध्वनि। हर सांस में शिव का नाम सजा है ना कोई और सहारा चाहिए जब बाबा शंकर साथ हैं
बड़े-बड़े पहाड़ों को लांघ कर भक्त झारखंड से निकलते हैं एक स्वर। पलामू से दुमका की ओर हर मोड़ पर बम बम का शोर। बूंदों-सी बरसती श्रद्धा की धार जैसे गिरते हों स्वर्ग से उपहार। हर मन में यही उजियारा है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
. दूर-दराज के जंगलों से झारखंड के आदिवासी चलते हैं। उनके साथ न कोई साधन सिर्फ बाबा के नाम का आलंबन। कांवर में गंगा जल समाया हृदय में भोले का दीपक जगाया। हर कांवरिया का संकल्प यही प्यारा है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
बच्चे हों या वृद्ध सभी साथ चलें बोल बम कहते कदमों से संकल्प ढलें। पाँव में छाले फिर भी कोई शिकवा नहीं क्योंकि बाबा से बड़ा कोई चिकित्सा नहीं। छोटे-छोटे जल मंदिरों में विश्राम करें फिर चल पड़ें जैसे व्रत निभाने का प्रण करें। उनका मार्ग शिव से सवेरा है – Shiv Bhakti Bol. Bam Kanwar Yatra
हजारीबाग के घाट से लेकर देवघर के महादेव द्वार तक। हर पग पर सजी है भक्ति की बारात, हर पल शिव को अर्पित जीवन की बात। ढोल-नगाड़ों की गूंज गाने की तान हर भक्ति गीत में बसी भोले की जान। झारखंड की हर सुबह पुनीत हमारा है – ना कोई और सहारा चाहिए जब बाबा शंकर साथ हैं
रात के अंधेरों में जब सब सोते हैं कांवड़िए शिव-ध्यान में खोते हैं। तारों के नीचे जब होता जप तो लगता है चांदनी भी कहे – हर हर महादेव! । भक्ति की यह जागरण लीला सावन की सबसे पावन कड़ी है। इस प्रेम की डोरी में बंधा सारा है – ना कोई और सहारा चाहिए जब बाबा शंकर साथ हैं
हर साल सावन में सजता मेला देवघर में लगता है श्रद्धा का झमेला। संगीत सेवा और सत्संग हर ओर शिव नाम का रंग। विदेशों से भी आते हैं लोग भोले की मस्ती का नहीं कोई सोग। ये झारखंड की आस्था का सितारा है – ना कोई और सहारा चाहिए जब बाबा शंकर साथ हैं
डाक कांवड़ में जोश की लहर हर कदम में जैसे बिजली का असर। तेज़ चाल तेज़ धड़कन तेज़ स्वर हर कांवड़िया शिव को करे समर्पण। कोई कॉलेज का छात्र है कोई किसान या व्यापारी। सब एक रंग में रँगा है जब बोल बम का जयकारा है।
जब थकान शरीर को छूती है भक्ति शक्ति बनकर झूमती है। एक घूंट जल भी शिवमय हो जाता कांवड़िए का मन संतोष से भर जाता। भक्त पूछते नहीं – क्या मिला? क्योंकि मिलती है वह शांति जो कहीं नहीं मिला। बाबा का नाम ही जब सहारा है – ना कोई और सहारा चाहिए जब बाबा शंकर साथ हैं
झारखंड की हवाओं में है ये भाव भोले के नाम से चलता है सबका नाव। शिव से जुड़ी हर कथा हर रीति आदिवासियों से लेकर साधु-संन्यासी की प्रीति। यहां पूजा में दिखती नहीं कोई होड़ बस प्रेम का जल बहता हर ओर। यह संकल्प यह श्रद्धा हमारा है