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I. परिचय
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त सिर्फ एक त्योहार नहीं
- बल्कि भाई-बहन के अमूल्य बंधन का अनमोल प्रतीक है।
- जब 2025 की वो सुबह 24 अगस्त को चुपचाप प्रेम की ज्योति जलाए
- तब हर परिवार में प्रेम की रोशनी भर जाती है।
इस वर्ष रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त – 7:30 बजे से 9:00 बजे तक है
- जो लेकर आता है नया जोश नयी उमंग और अपार आशीर्वाद।
- चलिए इस पर्व की महिमा को विस्तृत पद्य रूप में मनाते हैं
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त जहाँ हर शब्द में बसा हो भाई-बहन का प्रेम और परंपरा का सौंदर्य।
II. अमृतमयी बंधन की आरंभिक कविता
सितारों ने छीन ली रात की छाया
- हरी-भरी धूप में खिलते हैं फूल
- भाई-बहन के प्यार का हो रहा उजागर माया।
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त आया
07:30 से 9:00 बजे तक की घड़ी में रिश्तों ने सच्चा रूप पाया।
बंधनों में बसी छवि प्रियता की
साथ में हर दिल का प्रेम सलोना समाया।
बहन के हाथों में रचा एक गहन
भाई की मुस्कान में बसी आशा
प्रेम विश्वास और परंपरा के ताने-बाने से
दमक उठे ये बंधन मानो ईश्वर की छाया में पले हों।
III. प्रकृति के संग संगम की अनुभूति
जब धरती पर सुनहली किरणें बिखरती हैं
और मन में उमंग की लहरें उठती हैं
तो रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त
प्रकृति की मधुर साजिश में मुखरित होता है।
फूलों की खुशबू से महकता यह दिन
नदियों के कल-कल में गूंजता संदेश
बंधनों का यह अद्भुत उत्सव
भर देता है आत्मा में प्रेम का अद्वितीय नेश।
रात का अंधेरा भागता है
सूरज की पहली किरणों में आशा जागती है
प्रकृति भी करती है अभिनंदन
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त की सुबह हर दिल को मस्त कर जाती है।
IV. भावनाओं की माला
कभी तो बहन की मुस्कान में झलकती है रोशनी
जब भैया बाँधता है रक्षाबंधन की डोर।
उत्साह भरा प्रेम दिखता है हर लहर में
अनगिनत कहानियाँ बन जाती हैं इस स्वर।
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त में छुपा है प्रेम अटूट
एक-दूसरे के लिए समर्पण की अमूल्य छाप।
2025 का यह दिन हो जैसे स्वर्ग का आशीर्वाद
जहाँ हर दिल में उमंग हो हर जीवन में मधुर तालाब।
हर लम्हा कहता है –
हमारे रिश्ते हैं अमर अपरिमित
दिल से दिल तक ये डोर जाती है –
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त प्रेम का संदेश हर अदा में निहित।
V. परंपरा और आधुनिकता का संगम
समय के साथ बदली परंपरा की चाल
फिर भी रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त
अब भी वही आत्मीयता वैसी ही बनी हुई है।
भाई-बहन का प्रेम अविनाशी और अत्यंत प्यारा।
आज के तकनीकी युग में
जब डिजिटल दुनिया हर रिश्ता जोड़ रही है
रिवायत की इस मधुर बेला में
रिश्तों की गर्माहट बनी रहती है पवित्र आध्यात्मिक बाती।
सूर्योदय की रोशनी जब छा जाती है
तब परंपरा और आधुनिकता एक संगम बन जाती हैं
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त बन जाता है साक्षी।
VI. शुभ मुहूर्त का महत्व
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त जब २४ अगस्त को सुबह 07:30 से 09:00 बजे तक
चंद्रमा और सूर्य की संगति होती है
तब ब्रह्मांड की ऊर्जा हमें सौगात देती है।
यह मुहूर्त न केवल गणनाओं का खेल है
बल्कि हर क्षण अनमोल है
उत्साह से भरी धड़कनें साक्षी देती हैं –
प्रेम विश्वास और आशीर्वाद से सजीव ये पल बनते हैं।
जब आकाश सुनहरे रंग से छूता है
हर परिवार में घुल जाता है प्रेम का रस
और रिश्तों में नया जीवन नई उमंग
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त की ये भोर विशेष बन जाती है।
VII. यादों का अमूल्य संग्रह
जब बचपन में खेलते थे
बहन की हँसी और भाई की शरारतें अटूट थीं।
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त में वही सुदूर स्वप्न
अब पुनः जीवंत हो उठता है।
हर पल सजी होती हैं बचपन की चाहतें
आज भी वो यादें ताज़ा होती हैं।
वह रिश्ता जो अडिग है अनंत प्रेम से भरा
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त का हर पल
एक स्मृति बन जाता है – अमूल्य और अनोखा।
VIII. भावनात्मक बंधनों की गूँज
जब बहन सजती है राखी लेकर
और भाई में बसी होती है सुरक्षा की लौ
तो इस दिन की रौनक में झलकते हैं वे भाव
जो शब्दों में ना कहे जा सकें।
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त में वो संवाद गूंजते हैं
एक अनकहा गीत बनते हैं
जो बंधनों की सच्चाई दर्शाते हैं।
हर राखी प्रेम का प्रमाण बन जाती है
और हर बंधन अटूट विश्वास का परिचायक।
IX. संगीत की मधुर धुन में रचे पल
जब त्योहार शुरू होता है
घंटियों की टन-टन में गूंजता है गीत।
प्रेम के सुर विश्वास की लय
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त की लहर में बहता है मन।
हर घर में बजता है आनंद का स्वर
जहाँ रिश्तों की गहराई झलकती है
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त में रचा जाता है प्रेम का संगीत।
X. अनंत प्रेम की नवीन परिभाषा
इस दिन छुपी होती है एक नवीन परिभाषा
हर रिश्ता पवित्र और अनंत प्रेम से सजा होता है।
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त लिखता है नया अध्याय
जहाँ बहन और भाई का बंधन
अटूट प्रेम का परिचायक हो जाता है।
जब बहन रेशम का धागा थामती है हाथ में
हर फेरे में बुनती है दुआओं का संसार साथ में।
XI. उजाले में छुपे प्रेम के रंग
हर सुबह के उजाले में छिपा है रंगीन सपना
हर राखी के धागे में बुने जाते हैं नये ख्वाब।
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त वह अवसर है
जहाँ उम्मीदें नई दिशा लेती हैं।
XII. उम्मीदों के अमिट निशां
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त ले आता है
उम्मीदों के अमिट निशां विश्वास की अनंत कहानी।
जब बहन का आशीर्वाद हो और भाई की हँसी
वही बनती है जीवन की सबसे हसीन निशानी।
XIII. समापन: जीवन की अनंत यात्रा
जैसे-जैसे दिन ढलते हैं
और सूर्य की सुनहरी किरणें मद्धम पड़ती हैं
रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त बन जाता है
स्मृतियों का अनंत संगम।
हर राखी के धागे में छुपा होता है आशीर्वाद
“जो हर परिवर्तन में स्थिरता का प्रतीक बन जाता है।
XIV. अंत में – प्रेम का जगमगाता दीपक
आज जब रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त हमारे सामने है
तो चलिए प्रेम के दीप जलाएं।
रिश्तों की इस अमूल्य धरोहर को संजोएं
और उस अमर बंधन को हृदय से निभाएं।
यह त्योहार है एक प्रेरणा
जो हर वर्ष नया विश्वास देता है।
निष्कर्ष
यह कविता रक्षाबंधन 2025 शुभ मुहूर्त पर आधारित है
उसके अमिट प्रेम अटूट बंधनों और संजीवनी समान कहानियों का भावपूर्ण संग्रह।
हर अध्याय में परंपरा का गीत गूंजता है
और आधुनिकता से मिलकर एक नया स्वर रचता है
