Introduction
हिंदू धर्म में शिवजी को संहारक नहीं बल्कि कल्याणकारी देवता माना जाता है। उनका प्रत्येक रूप उनकी हर पूजा विधि हर मंत्र हर प्रतीक—कुछ न कुछ गूढ़ रहस्य समेटे हुए होता है।
इसी तरह जब शिवजी की पूजा करते समय ताली बजाई जाती है तो यह केवल भक्ति का प्रदर्शन नहीं होता बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक आध्यात्मिक और मानसिक ऊर्जा से जुड़ी अनेक व्याख्याएँ होती हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है
Table of Contents
1. ध्वनि से नकारात्मकता का नाश
- जब हम ताली बजाते हैं, तो उस ध्वनि से एक कंपन उत्पन्न होता है जो वायुमंडल में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा को हटाने में सहायक होता है।
शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है इसका पहला उत्तर यही है कि यह वातावरण को शुद्ध करने और स्थान को आध्यात्मिक रूप से ऊर्जावान बनाने का कार्य करती है।
2. मन को केंद्रित करने में सहायक
- पूजा के समय मन भटकता है। ताली की आवाज़ मन को वापस खींच लाती है, जिससे ध्यान टूटता नहीं बल्कि गहराता है।
- शास्त्रों में कहा गया है – चित्तं एकाग्रं भवेत् तदा पूजा सिद्धिं लभेत् सदा।
- यानी जब मन एकाग्र होगा तब ही पूजा सफल मानी जाएगी। इसलिए ताली उस एकाग्रता को साधने का साधन बनती है।
3. ताली: आरती का आत्मिक उत्सव
- आरती करते समय जब ताली बजाई जाती है तो वह केवल एक लय नहीं बल्कि हमारी आत्मिक ऊर्जा की अभिव्यक्ति होती है। ताली से निकलने वाला रिदम हमारे हृदय की धड़कनों से मेल खाता है और ईश्वर के प्रति प्रेम को मुखर करता है।
- शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है – इसका एक उत्तर यह भी है कि यह भक्ति की लयात्मक ध्वनि है जो शिव को आकर्षित करती है।
4. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ताली का महत्व
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- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ताली बजाने पर हथेलियों में मौजूद संवेदनशील बिंदु सक्रिय हो जाते हैं जिससे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है मानसिक तनाव कम होता है और मस्तिष्क अधिक सतर्क हो जाता है प्रवाहित होती है।
- इस प्रकार शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है इसका उत्तर केवल धार्मिक नहीं बल्कि शारीरिक लाभ से भी जुड़ा है।
5. देवताओं के स्वागत की परंपरा
- भारतीय संस्कृति में जब कोई महत्वपूर्ण अतिथि आता है, तो उसे ताली शंख या घंटी से स्वागत किया जाता है। उसी प्रकार जब हम शिवजी की पूजा करते हैं और ताली बजाते हैं तो यह ईश्वर के स्वागत का प्रतीक होता है।
- यह संकेत होता है कि –
- हे भोलेनाथ! हम आपका अभिनंदन करते हैं कृपया हमारे बीच पधारिए।
6. शिव के तांडव और ताली की लय
- शिवजी का तांडव केवल नृत्य नहीं बल्कि ब्रह्मांडीय गति का प्रतीक है। उस गति में लय है कंपन है ऊर्जा है। जब हम ताली बजाते हैं तो हम उस तांडव की लय से अपने भीतर की चेतना को जोड़ते हैं।
- इसलिए जब पूछा जाता है शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है तो उत्तर है – ताकि हम शिव के तांडव में शामिल हो सकें।
7. धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख
- स्कंद पुराण शिव महापुराण और लिंग पुराण जैसे ग्रंथों में ताली बजाने को पुण्यदायी कहा गया है।
- गंधर्व और अप्सराएं भी जब देवों की स्तुति करती थीं तो वे ताली और नृत्य से अपनी भक्ति अभिव्यक्त करती थीं।
- शास्त्रों में ताली को सात्विक ध्वनि कहा गया है जो आत्मा को ऊर्जावान बनाती है।
8. समूहिक पूजा में ऊर्जा का संचार
- जब कई लोग एक साथ ताली बजाते हैं – मंदिर में घर की पूजा में या कीर्तन में – तो एक सामूहिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- यह ऊर्जा केवल ईश्वर को नहीं बल्कि भक्तों को भी आपस में जोड़ती है।
- शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है – इसका एक उत्तर यह भी है कि यह भक्तों को एकता में बांधती है।
9. पर्यावरणीय प्रभाव
- ताली से उत्पन्न ध्वनि तरंगें आसपास के वातावरण को ऊर्जावान और सक्रिय बना देती हैं।
- यहां तक कि घर में मौजूद सूक्ष्म कीटाणु जीवाणु व विकारी ऊर्जा भी इससे प्रभावित होती है।
- कहा जाता है कि पूजा स्थल में ताली बजाने से वहां दैवीय ऊर्जा अधिक समय तक बनी रहती है।
10. अंतर्मन की नींद को जगाती है
- हमारे भीतर एक सोता हुआ आत्मा है जो केवल सत्संग भक्ति और ध्यान से जागती है।
- ताली उस आत्मा को झकझोरती है और कहती है — अब जागो शिव का नाम लो वो तुम्हारे पास हैं।
- शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है – क्योंकि यह केवल ध्वनि नहीं एक पुकार है आत्मा के लिए।
11. भक्ति का लयात्मक माध्यम
- भक्ति स्थिर नहीं होती वह बहती है – जैसे जलधारा जैसे संगीत।
- ताली उस बहाव को लय देती है। वह शोर नहीं है वह संवाद है।
- शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है इसका एक गूढ़ उत्तर यह भी है – ताकि हमारी भक्ति केवल मौन न रहे वह नाद बनकर गूंजे।
12. मंत्रों की शक्ति को बढ़ाता है ताली का ध्वनि प्रभाव
- जब हम ॐ नमः शिवाय” या अन्य मंत्रों का उच्चारण करते हैं और साथ में ताली बजाते हैं तो उस ध्वनि-संयोजन से एक कंपन उत्पन्न होता है जो वातावरण में स्थिर होकर सकारात्मक ऊर्जा को फैलाता है।
- ध्वनि विज्ञान के अनुसार जब ध्वनि मंत्र और भाव एकसाथ होते हैं तो ईश्वर से संपर्क अधिक प्रभावी होता है।
इसलिए ताली को केवल लय नहीं बल्कि मंत्र ऊर्जा को बढ़ाने वाला माध्यम भी माना गया है।
13. बच्चों और युवाओं में भक्ति की रुचि बढ़ाना
- ताली एक ऐसी क्रिया है जो भक्ति को रोचक और जीवंत बनाती है। बच्चों और युवाओं के लिए यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि एक अनुभव बन जाता है।
- जब बच्चे ताली बजाते हैं तो वे उत्साहित होते हैं भक्ति में लीन होते हैं और शिवजी की पूजा में सक्रियता दिखाते हैं।
- इसलिए शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है, इसका एक सामाजिक पहलू भी है –
Conclusion
- शिवजी की पूजा करते समय ताली क्यों बजाई जाती है – अब इसका उत्तर न केवल धार्मिक है
बल्कि यह विज्ञान मनोविज्ञान भक्ति और सामाजिक चेतना से भी जुड़ा हुआ है।
ताली एक साधारण क्रिया नहीं बल्कि
ध्वनि का माध्यम है
मंत्रों का संवाहक है
भक्ति की भाषा है
और चेतना को शिव से जोड़ने का साधन है।

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