जो सुकून नहीं पूरे संसार में
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भूमिक
आज की दुनिया भागदौड़ तनाव और इच्छाओं से भरी हुई है।
लोग दौलत कमाने में रिश्तों को निभाने में और सपनों को पूरा करने में लगे हैं।
लेकिन इस सबके बीच एक चीज खो जाती है – अंतर्मन की शांति।
हर कोई खुश तो है पर संतुष्ट नहीं।
हर किसी के पास बहुत कुछ है लेकिन फिर भी सुकून नहीं है।
पर जहाँ संसार थक जाता है
वहीं एक दरबार है जहाँ थका हुआ दिल भी मुस्कुरा उठता है।
वो है मेरे महादेव का दरबार।
जो सुकून नहीं पूरे संसार में
वह सुकून है मेरे महादेव के दरबार में।
महादेव का दरबार: जहाँ आत्मा विश्राम करती है
शिव का मंदिर सिर्फ एक इमारत नहीं होता
वो एक भावनात्मक ऊर्जा केंद्र होता है।वहाँ कदम रखते ही मन हल्का हो जाता है।
शिवलिंग के सामने आँखें बंद करते ही सारी चिंताएं विलीन हो जाती हैं।
उनकी भक्ति
जाति धर्म उम्र वर्ग से परे होती है
सभी के लिए खुला होता है
सच्ची भक्ति की ही क़द्र होती है
शिव – सरलता में विराट
उन्हें ना सोने-चांदी की मूर्तियाँ चाहिए
ना भव्य सजावट
बस
एक बेलपत्र
एक लोटा जल
और एक सच्चा दिल
जीवन की कठिनाइयों में जब हम टूट जाते हैं
तो जो सुकून नहीं पूरे संसार में
वही सुकून हमें महादेव के दरबार में मिलता है।
संसार की चकाचौंध बनाम शिव का सन्नाटा
आज की दुनिया
सोशल मीडिया का दिखावा
शोर लालच और comparison
वहीं शिव की दुनिया:
मौन ध्यान और धैर्य
भीतर की यात्रा
जब मंदिर में घंटा बजता है
तो लगता है मन की हलचल थम गई
क्योंकि सच में –
जो सुकून नहीं पूरे संसार मे वह सुकून है मेरे महादेव के दरबार में।
सावन और सोमवार महादेव के महीने
सावन में हर सोमवार विशेष होता है
कांवड़ लाना जल अर्पित करना उपवास रखना
बम बम भोले की गूंज में जो ऊर्जा होती है –
वो दुनिया की किसी दौलत से नहीं खरीदी जा सकती।
क्योंकि
जो सुकून महादेव देते हैं वो किसी दौलत में नहीं।
टूटे हुए दिल के सबसे सच्चे साथी – भोलेनाथ
जब कोई नहीं सुनता
तब महादेव सुनते हैं।
जब सब साथ छोड़ जाते हैं
तब वही साथ निभाते हैं।
जब मन का बोझ
आँखों से आँसू बनकर बहता है
तो वो उसे भी अपनी कृपा से सुखा देते हैं।
क्योंकि सच यही है –
जो सुकून नहीं पूरे संसार में वह सुकून है मेरे महादेव के दरबार में।
मंदिर की एक घंटी और आत्मा की तृप्ति
कभी आप शिव मंदिर जाएँ –
ना कोई मांग रखें
ना कोई प्रार्थना करें
बस मौन बैठ जाएँ
तो आप वास्तव में शांति को अनुभव करेंगे।
मंदिर में बजती घंटी
शिवलिंग पर गिरती जलधारा
हर हर महादेव की गूंज
इन सबके बीच जो महसूस होता है
वो वही एहसास है जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता।
और यही वो एहसास है –
जो सुकून नहीं पूरे संसार में वह सुकून है मेरे महादेव के दरबार में।
निष्कर्ष: सुकून की तलाश महादेव पर खत्म होती है
कितनी भी दौड़ लगाओ
कितनी भी ऊँचाइयाँ छू लो
लेकिन अगर मन शांत नहीं
तो सब कुछ अधूरा है।
लेकिन अगर एक बार
सिर महादेव के चरणों में झुक गया
तो वही सिर ऊँचा उठता है।
क्योंकि महादेव सिर्फ देव नहीं – वो एक अनुभव हैं।
वो शिवत्व हैं जो हमारे भीतर बसते हैं।
अंतिम पंक्तियाँ:
जो सुकून नहीं पूरे संसार में
वह सुकून है मेरे महादेव के दरबार में।
वहाँ ना कोई सवाल होते हैं
ना ही जवाब –
बस एक एहसास होता है कि
मैं तन्हा नहीं हूँ।
शिव के बिना जीवन अधूरा लगता है
महादेव वह शक्ति हैं जो:
दुखों से निकालते हैं
भीतर की आवाज़ सुनाते हैं
आत्मा से जोड़ते हैं
उनकी जटाओं से गंगा नहीं जीवन बहता है।
त्रिनेत्र से अज्ञान का अंत होता है।
उनका तांडव ब्रह्मांड की गति है।
शिव हमें सिखाते हैं
त्याग = शक्ति
मौन = उत्तर
भक्ति = ऊर्जा
और इन सभी के मूल में जो सुकून है
वो है मेरे महादेव के दरबार में।
जब-जब संकट आए भोलेनाथ ने साथ निभाया
इतिहास गवाह है:
उन्होंने हलाहल विष पीकर सृष्टि बचाई
माँ सती को दोबारा पाया
गणेश को प्रथम पूज्य बनाया
आज भी जब जीवन का ज़हर हमें डसता है –
तनाव
धोखा
पीड़ा
तो दिल से एक ही नाम निकलता है –
महादेव
क्योंकि जो सुकून नहीं पूरे संसार में वह सुकून है मेरे महादेव के दरबार में।
हर पल शिव को याद करें – और सुकून पाएँ
ॐ नमः शिवाय” का जाप करें
परिस्थिति कैसी भी हो –
दुख
भ्रम
हार
आप पाएँगे:
मन शांत होता है
विचार स्थिर होते हैं
आत्मा को सुकून मिलता है
और अंत में
जो सुकून नहीं पूरे संसार में वह सुकून है मेरे महादेव के दरबार में।
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