1. सफर की शुरुआत
हर कहानी की एक शुरुआत होती है
कुछ मिलते हैं इत्तेफाक से
और कुछ बन जाते हैं ज़िंदगी का हिस्सा।
हमारी भी शुरुआत कुछ ऐसी ही थी
नज़रों का मिलना दिलों का जुड़ना
और फिर हर दिन एक नए ख्वाब जैसा लगना।
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आगे सफर था पीछे हमसफ़र था
मगर उस वक्त हमें ना मंज़िल की फिक्र थी
ना रास्तों की चिंता।
बस एक-दूसरे का साथ चाहिए था
और वो साथ ही हमारा सुकून था।
2. वो भीगे पल बारिश की बूंदें छत पर बैठकर बातों का सिलसिला तेरी हँसी और मेरी नज़रों का झुक जाना हर लम्हा किसी फ़िल्म जैसा लगता था। हम वक्त के साथ बहते जा रहे थे ना कोई सवाल ना कोई जवाब। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था लेकिन दिल को सिर्फ उस हम की खुशी थी जिसने ज़िंदगी को नग़्मा सा बना दिया था।
3. जब कुछ बदलने लगा हर कहानी में एक मोड़ आता है जहां धूप कम और साये ज्यादा हो जाते हैं। हमारी भी कहानी में वो मोड़ आया – जब खामोशियाँ लंबी हो गईं और मुस्कुराहटें कम। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था पर अब वो हमसफ़र दूर जाने लगा था। न ज़ुबान से कहा गया न आंखों से समझा गया पर दोनों को एहसास था – कुछ खत्म हो रहा है।
4. अलविदा का दिन वो आख़िरी मुलाक़ात जब आंखों में पानी और होंठों पर मुस्कान थी। हमने कहा कुछ नहीं बस एक लंबी खामोशी ने सब कह दिया। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था पर अब उस सफर में मैं अकेला था। हर चीज़ वहीं थी — पर उनमें अब तू नहीं था। जैसे हर चीज़ से तेरा असर मिट गया हो।
5. यादों की धूप-छांव आज भी तेरी हँसी याद आती है वो किताबों में रखे हुए गुलाब वो कॉफी के कप पर नाम लिखना और अल्फ़ाज़ जो शुभ रात्रि कहकर दिल को सुकून देते थे। सब कुछ जैसे रुका हुआ है – वक्त भी मैं भी ये दिल भी। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था पर अब हमसफ़र सिर्फ यादों में बसता है।
6. तन्हा सफर अब चल रहा हूँ मगर सिर्फ शरीर चल रहा है दिल वहीं ठहरा है जहां तूने छोड़ा था। रास्ते नए हैं चेहरे नए हैं मगर दिल आज भी उसी पुराने नाम से धड़कता है। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था अब ना कोई कदम साथ है ना कोई बात साथ है – बस तेरी परछाई मेरे साथ चलती है।
7. खुद से मुलाकात जब तुम गई तब मैं पहली बार खुद से मिला। समझ आया कि प्यार सिर्फ पाना नहीं कभी-कभी जाने देना भी होता है। कभी-कभी खुद को बचाने के लिए किसी और को खोना पड़ता है। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था और अब उस हमसफ़र की कमी में मैंने खुद को ढूंढना शुरू किया।
8. नई सुबह की तलाश अब जीवन की सुबह कुछ नई है तुम्हारे बिना भी मुस्कुराने की कोशिश कर रहा हूँ। जो खो गया उसका ग़म नहीं जो सीखा उसका शुक्रिया है। क्योंकि तुमसे ही सीखा – कि मोहब्बत बस मिल जाने का नाम नहीं बल्कि दिल से दिल तक जुड़ाव का नाम है। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था और अब मैं उस सफर में खुद को हमसफ़र बना चुका हूँ। जब ख़्वाब
दोबारा लौटते हैं वक्त चाहे जितना भी बीत जाए कुछ ख़्वाब वापस लौट आते हैं। नींद के उस आखिरी किनारे पर तेरी याद फिर से दस्तक देती है। कभी चेहरा साफ़ नहीं होता पर एहसास उतना ही गहरा होता है। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था इस एक जुमले में आज भी सांसें बसी हैं जिसने हर रात को एक अधूरी सुबह बना दिया। तेरे साथ बिताए लम्हें अब ख्वाबों की शक्ल में वापस आते हैं जैसे तू मुझे ये जताने आई हो – मैं गई हूं मगर भूली नहीं हूं।
10. जब कोई और मिल जाए कभी-कभी ज़िंदगी दोबारा मौका देती है। कोई नया आता है जो तेरे जख्मों पर मरहम लगाने लगता है। जो तुझसे पूछता है – तुम इतना गुमसुम क्यों रहते हो?
मैं मुस्कुराता हूं पर उस मुस्कुराहट में बहुत कुछ छिपा होता है। क्योंकि आगे सफर था पीछे हमसफ़र था और जो बीत चुका है वो हर नए रिश्ते की दीवार बन जाता है। उस नए इंसान की कोई गलती नहीं होती मगर मैं अब भी अतीत के पन्नों में खोया होता हूं। कभी तुलना करता हूं कभी खामोश होकर बहाना बनाता हूं।
11. जब दिल माफ करना सीखता है
कभी खुद को माफ़ करना भी जरूरी होता है। उस दिन के लिए जब तुमने किसी को खो दिया या जब तुमने किसी को रोक नहीं पाए। जब तुमने कुछ कहा नहीं और बहुत कुछ बिखर गया। अब समझ आता है – कि ज़िंदगी सिर्फ काश से नहीं चलती। उसे अब क्या से जीना होता है। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था लेकिन अब मुझे खुद के साथ चलना है। तेरे जाने की वजह जानने से ज्यादा जरूरी है कि मैं खुद को कैसे संभालूं कैसे दोबारा भरोसा करूं कैसे खुद को एक और मौका दूं।
12. जब वक्त अपने घाव भर देता है
धीरे-धीरे ज़िंदगी फिर से अपनी रफ्तार पकड़ती है। वो ज़ख्म जो कभी ताजा थे अब दाग बन जाते हैं – जो कभी-कभी जलते हैं, पर अक्सर सिखाते हैं। अब जब अकेले बैठता हूं तो तेरा नाम नहीं तेरे साथ सीखी बातें याद आती हैं। अब दर्द नहीं होता एक अजीब-सी मिठास होती है उस कड़वे अनुभव में। आगे सफर था पीछे हमसफ़र था अब सिर्फ एक लाइन नहीं बल्कि मेरी ज़िंदगी का एक अध्याय बन चुका है। जिसने मुझे तोड़ा भी और फिर जोड़ना भी सिखाया।
13. नया सूरज नया सफर आज मैं फिर एक नए रास्ते पर हूं। कंधे पर बीते वक्त की थकान है मगर आंखों में फिर से चमक है। अब मोहब्बत से डर नहीं लगता अब अकेलेपन से शिकवा नहीं।
शायद अब मैं खुद को अपना हमसफ़र बना चुका हूं।
क्योंकि जो लोग चले जाते हैं
वो भी हमें कुछ देकर ही जाते हैं –
या तो एक सबक
या फिर एक और खूबसूरत पहलू देखने की हिम्मत।
आगे सफर था पीछे हमसफ़र था
अब यह पंक्ति एक दास्तान नहीं
बल्कि प्रेरणा बन गई है –
कि बिछड़ने के बाद भी
ज़िंदगी थमती नहीं।
निष्कर्ष:
जब हमसफ़र याद बन जाए

[…] जब हर चीज़ थी फिर भी कुछ न था […]